उत्तराखंड: पौड़ी में जल्द खत्म होगी ब्रिटिशकालीन पुलिस व्यवस्था

उत्तराखंड समाचार: उत्तराखंड के पौड़ी में ब्रिटिशकालीन प्रथा खत्म होने जा रही है। पौड़ी जिले के 1,777 गांवों में चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म किया जाएगा। इसके बाद इन गांवों को भी नियमित पुलिस व्यवस्था में शामिल किया जाएगा। इस बदलाव से न सिर्फ जिले में कानून व्यवस्था मजबूत होने की उम्मीद है, बल्कि न्याय की तलाश में दोहरे पुलिस क्षेत्राधिकार के चक्रव्यूह में नागरिकों का उत्पीड़न भी रुकने की उम्मीद है।

जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) लोकेश्वर सिंह ने पुलिस महानिदेशक को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा है। इसमें जिले के सभी राजस्व गांवों को नियमित पुलिस व्यवस्था में शामिल करने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही जिले में तीन थाने और 10 चौकियां स्थापित करने का प्रस्ताव बनाया गया है। कुछ मौजूदा थानों और चौकियों को अपग्रेड करने की भी योजना है।

पौड़ी में नए थाने

एसएसपी सिंह ने बताया कि कल्जीखाल, अगरोड़ा और सेरियाखाल में नए थाने स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा डांडा नागराजा, पोखरीखेत, संगलाकोटी, नौगांवखाल, कोट, ल्वाली, सिलोगी, फरसूला, कंडाखाल और पौखाल में नई चौकियां बनाने का प्रस्ताव है। दुगड्डा चौकी को उच्चीकृत कर थाने का दर्जा देने की भी योजना है। पौड़ी जिले में लंबे समय से ब्रिटिशकालीन राजस्व पुलिस व्यवस्था लागू है। इस व्यवस्था में राजस्व निरीक्षक और उपनिरीक्षक कानून व्यवस्था संभालते थे। हालांकि, जनता और अधिकारी दोनों ही लंबे समय से इस व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं। न्याय मिलने में देरी और भ्रष्टाचार की शिकायतें भी राजस्व पुलिस व्यवस्था को त्रस्त करती हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में पुष्कर सिंह धामी सरकार को निर्देश जारी किए हैं।

पौड़ी के डीएम आशीष चौहान ने संबंधित तहसीलों के उप जिलाधिकारियों को एसएसपी के प्रस्ताव पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपी जाए, ताकि इस प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। वर्तमान में पौड़ी जिले में 10 थाने और 4 कोतवाली क्षेत्र हैं। इनमें कोतवाली पौड़ी, श्रीनगर, लैंसडाउन और कोटद्वार मुख्य कोतवाली हैं। वहीं, थलीसैंण, पैठाणी, धूमाकोटी, रिखणीखाल, यमकेश्वर, लक्ष्मणझूला, सतपुली, कालागढ़ और देवप्रयाग थानों के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्र आते हैं। गांवों को नियमित पुलिस क्षेत्राधिकार में शामिल किए जाने से कानून व्यवस्था के प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होगी। लोगों को अब राजस्व पुलिस और नियमित पुलिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इसके अलावा थानों और चौकियों की संख्या बढ़ने से पुलिस ग्रामीण क्षेत्रों के करीब पहुंच जाएगी, जिससे अपराध पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!