देहरादून, 7 मई: आज सुबह भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के ठिकानों पर की गई लक्षित कार्रवाई के बाद पूरे देश में हलचल है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस साहसिक कदम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक समुदाय से एकजुट होने का आह्वान किया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दुनिया को आतंकवाद के प्रति “शून्य सहिष्णुता” दिखानी होगी और किसी भी देश को अपनी धरती का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए नहीं करने देना चाहिए।
हालांकि भारतीय सेना या विदेश मंत्रालय की ओर से इस ऑपरेशन को लेकर विस्तृत जानकारी अभी साझा नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर है कि यह कार्रवाई खुफिया एजेंसियों से मिली पुख्ता जानकारी के आधार पर की गई। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशें तेज हो गई थीं और इन ठिकानों पर आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर और लॉन्च पैड सक्रिय थे।
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने आधिकारिक बयान में किसी विशेष ऑपरेशन का सीधा उल्लेख तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा, “भारत हमेशा आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ लड़ाई जारी रखेगा। हम अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विश्व समुदाय को यह समझना होगा कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसके समर्थकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है, लेकिन यह तभी संभव है जब वे अपनी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने वाली ताकतों को समर्थन देना बंद करें। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म या सीमा नहीं होती और इससे मिलकर लड़ने की आवश्यकता है।
इस बीच, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने भी इस कार्रवाई की पुष्टि की है, हालांकि उन्होंने ऑपरेशन की प्रकृति और लक्ष्यों के बारे में विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया। सूत्रों ने इतना जरूर बताया कि यह एक सटीक और लक्षित हमला था, जिसमें आतंकियों के ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया गया है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है। भारत ने कई बार पाकिस्तान से अपनी धरती से संचालित हो रहे आतंकी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया है, लेकिन इस्लामाबाद की ओर से इस दिशा में संतोषजनक कदम नहीं उठाए गए हैं।
आज की कार्रवाई को भारत की ओर से एक कड़ा संदेश माना जा रहा है कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा और आतंकवाद के खतरे को जड़ से खत्म करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। इस कार्रवाई के बाद सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है और अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। उनका कहना है कि भारत अब केवल रक्षात्मक रवैया अपनाने के बजाय आतंकवाद के स्रोतों पर सीधी कार्रवाई करने की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है।
विपक्षी दलों ने भी इस कार्रवाई पर सरकार का समर्थन किया है। सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा देश एकजुट है। उन्होंने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और सेना के शौर्य और पराक्रम की सराहना की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कई देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है, जबकि कुछ देशों ने संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से मुद्दे को हल करने की अपील की है। हालांकि, अधिकांश देशों ने आतंकवाद के खतरे को स्वीकार करते हुए इस पर चिंता व्यक्त की है।
संयुक्त राष्ट्र में भी भारत इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठा सकता है और पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है।
फिलहाल, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आधिकारिक जानकारी का इंतजार है, लेकिन विदेश मंत्री जयशंकर के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर अब और अधिक मुखर और निर्णायक रवैया अपनाने के लिए तैयार है। यह कार्रवाई न केवल सीमा पार आतंकवादियों के लिए एक कड़ा संदेश है, बल्कि यह वैश्विक समुदाय को भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
देहरादून में भी इस खबर के फैलते ही लोगों में उत्साह और समर्थन का माहौल है। विभिन्न सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों ने भारतीय सेना के इस कदम का स्वागत किया है और सरकार से आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने का आग्रह किया है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान इस कार्रवाई पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और आगे इस क्षेत्र में क्या घटनाक्रम होते हैं। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है और यह संदेश दिया है कि वह अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। विश्व को अब यह समझना होगा कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए एक संयुक्त और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है, जैसा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट रूप से कहा है।