भारत में आस्था की कोई कमी नहीं है। इस बात का सबूत जगह–जगह बने मंदिर हैं। हर मंदिर का अलग–अलग इतिहास और मान्यता है। कई मंदिरों के निर्माण की कहानी तो बेहद दिलचस्प होती है। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने वाले हैं। जो की बुलेट बाबा मंदिर या ओम बन्ना मंदिर के नाम से जाना जाता हैं।
यह मंदिर राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर व पाली शहर के पास गांव चोटिला में है। यहां पर हर दिन लोगों की भीड़ लगी रहती हैं। देशभर से दूर दूर से लोग यहाँ बुलेट की पूजा करने आते हैं।
जी हाँ, यहां पर किसी भगवान की प्रतिमा नहीं बल्कि 350सीसी रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है। सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, मगर करीब 33 साल से यहां पर बाइक की पूजा हो रही है। यहां काले रंग की एक रॉयल एनफील्ड बुलेट जो फूलों की माला से लदी एक शीशे के बक्से में रखी हैं, यहां उसकी पूजा-अराधना की जाती है। जिसके पीछे यहां के लोगों की आस्था के साथ कई विशेष तरह की मान्यताएं जुड़ी हुई है।
ऐसा कहा जाता है कि 23 दिसम्बर 1988 को एक हादसा हुआ था। यहां के शक्तिशाली राजपूत परिवार से नाता रखने वाले ओम सिंह राठैर (ओम बन्ना) ससुराल से होकर अपने गांव चोटिला आ रहे थे, तभी उस स्थान पर उनकी बाइक एक पेड़ से टकरा गई और मौके पर ही ओम बन्ना की मौत हो गई। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस उनकी बाइक को थाने ले गई। लेकिन अगली सुबह सभी यह देखकर चौंक गए की बाइक थाने की में ना होकर हादसे वाली जगह थी। जिसके बाद समझा गया कि किसी ने ऐसा जानबूझकर किया है, इसलिए पुलिस ने उनकी गाड़ी को थाने लाकर चैन से बांध दिया। लेकिन फिर से वहीं घटना हुई, बाइक ओम बन्ना की दुर्घटना वाले जगह पर खड़ी मिली। जिसके बाद से यह विषय लोगों में कौतुहल बन गया और लोगों ने फैसला लिया की बाइक को घटना वाले स्थान पर ले जाकर रख दिया जाए। और इसके बाद से ही इस स्थान को दैविक स्थान मानकर लोग पूजा-अराधना करने लगे।
सबसे अच्छी बात यह हैं की जिस जगह पर ओम बन्ना की सड़क हादसे में मौत हुईं थी और फिर उसके बाद से लोगों ने उनकी बाइक रॉयल एनफ़ील्ड बुलेट को उस स्थान पर रख दिया था, वहाँ उसके बाद फिर कोई सड़क हादसा दुबारा नहीं हुआ। जिसे लोग ओम बन्ना का चमत्कार ही मानते हैं, और भक्ति भाव से अराधना करते हैं।
Author: Harshit