उत्तराखंड एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश के बीच शुक्रवार देर रात चमोली जिले के थराली कस्बे और उसके आसपास के इलाकों में बादल फटने की घटना सामने आई। यह हादसा रात करीब 1 बजे हुआ, जिसने देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। मूसलाधार बारिश के साथ आया मलबा घरों में घुस गया, सड़कें टूट गईं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
स्थानीय लोगों के अनुसार, थराली बाजार, राड़ीबगड़ और चेपडो गांव इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अचानक पहाड़ों से आया भारी मलबा सड़कों को अवरुद्ध कर गया। कई घरों के अंदर मलबा भर गया, जिससे लोगों के लिए अपने घरों में रहना मुश्किल हो गया। वहीं, बाजार में खड़े कई वाहन मलबे में दब गए हैं।
अब तक की जानकारी के मुताबिक, तीन लोग लापता बताए जा रहे हैं। आसपास के लोग और परिजन उनकी तलाश कर रहे हैं, लेकिन रात से लगातार बारिश और मलबे की वजह से खोजबीन में दिक्कत आ रही है। लापता लोगों की खोज के लिए प्रशासन ने स्थानीय पुलिस और आपदा प्रबंधन टीम को लगाया है।
राहत और बचाव कार्य जारी
घटना के बाद प्रशासन तुरंत सक्रिय हो गया। जिला प्रशासन, एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। गांवों में फंसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
राहत कार्य में लगी टीमों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि लगातार बारिश के कारण रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं। कई जगह सड़कें धंस गई हैं और बिजली की सप्लाई भी प्रभावित हुई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे निचले इलाकों में न रहें और सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।
स्थानीय लोगों में दहशत
रात में अचानक हुई इस प्राकृतिक आपदा ने लोगों को दहला दिया है। कई परिवार अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर चले गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मूसलाधार बारिश के साथ अचानक आया मलबा इतनी तेजी से फैला कि लोग संभल भी नहीं पाए।
ग्रामीणों ने प्रशासन से राहत सामग्री, अस्थायी आवास और दवाईयों की मांग की है। वहीं, प्रभावित गांवों में हालात सामान्य होने में समय लग सकता है।
पहाड़ों पर लगातार आपदाओं का सिलसिला
उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है और यहां मानसून के दौरान बादल फटना, भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। बीते कुछ सालों से राज्य में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्य इन आपदाओं की तीव्रता बढ़ा रहे हैं।
थराली की यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि पहाड़ों में रहने वाले लोग हर साल मानसून के मौसम में कितने असुरक्षित हो जाते हैं। फिलहाल, प्रशासन और राहत दल की प्राथमिकता लापता लोगों की तलाश और प्रभावित लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाना है।