Discover the spiritual significance of Janardan Mandir in Gaya Ji, the only place in the world where devotees perform Atma Shraddh (self pind daan) for moksha. Learn about the rituals, history, and importance during Pitru Paksha as described in Garuda Purana and Vayu Purana.
जनार्दन मंदिर गया जी – Moksha के लिए Atma Shraddh और Pind Daan का अद्वितीय Temple
गया जी (Gaya Ji) को पितरों की नगरी कहा जाता है और यहां का धार्मिक महत्व Vedas, Puranas और modern time तक अमिट बना हुआ है। हर साल Pitru Paksha के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां अपने पितरों की शांति और मोक्ष (Moksha) के लिए Pind Daan (पिंडदान) करने आते हैं।
इन्हीं 54 पिंड वेदियों में सबसे खास और दुर्लभ महत्व जनार्दन मंदिर (Janardan Mandir Temple) की वेदी का है। यह विश्व का एकमात्र स्थान माना जाता है जहां जीवित व्यक्ति स्वयं का Pind Daan, यानी Atma Shraddh करता है।
आत्मश्राद्ध (Atma Shraddh) – जीते जी खुद का पिंडदान
Janardan Mandir Temple in Gaya Ji में Atma Shraddh की परंपरा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि जो व्यक्ति Vairagya धारण कर लेता है, जिसका कोई उत्तराधिकारी नहीं है, या फिर अपने पाप कर्मों का प्रायश्चित करना चाहता है, वह यहां आकर Atma Shraddh करता है।
यह प्रक्रिया तीन दिनों तक चलती है:
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संकल्प और प्रायश्चित
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जाप और तप
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पूजा और पिंड अर्पण
तीन विशेष Pind (दही और चावल से बने) तैयार किए जाते हैं जिन्हें भगवान जनार्दन (Lord Janardan) को अर्पित किया जाता है। ध्यान देने वाली बात है कि इस पिंड में til (तिल) का उपयोग नहीं किया जाता।
भस्मकूट पर्वत पर स्थित मंदिर
Janardan Temple गया जी के Bhasmakoot Parvat पर, माँ Mangla Gauri Temple के उत्तर में स्थित है। पौराणिक मान्यता है कि स्वयं Lord Vishnu ने यहां वेदी की स्थापना की थी।
Garuda Purana और Vayu Purana में महत्व
स्थानीय पुजारी और विद्वानों के अनुसार Janardan Temple in Gaya Ji का महत्व Garuda Purana और Vayu Purana दोनों में वर्णित है। यहां आत्मश्राद्ध करने से आत्मा को पापमुक्ति और मोक्ष प्राप्त होता है।
इतिहास और जीर्णोद्धार
पहले यह मंदिर (Temple) बहुत छोटा था। बाद में राजा मान सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया। आज भी हर वर्ष Pitru Paksha Mela के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग यहां आते हैं और अपने पितरों के उद्धार के साथ-साथ साधु-संत और वैरागी Atma Shraddh की विशेष प्रक्रिया पूरी करते हैं।