इस जगह पर हुई भगवान गणेशजी की उत्पत्ति, आज भी मौजूद हैं भगवान शिव की आंखों के निशान
राजस्थान (Rajasthan) के राजसमंद जिले (Rajsamand district) में एक दिव्य स्थल है जिसे गौरीधाम (Gauridham) कहा जाता है। यह जगह धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि मान्यता है कि यही पर भगवान गणेशजी (Lord Ganesha) की उत्पत्ति हुई थी। खास बात यह है कि आज भी इस गुफा (cave) में भगवान शिव (Lord Shiva) की आंखों के निशान मौजूद हैं।
गौरी मैया की तपोभूमि
यहां के स्थानीय लोग और साधु-संत बताते हैं कि गौरी मैया (Mata Parvati) ने इसी जगह पर तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त किया था। गुफा के अंदर जब भगवान शिव ने माता पार्वती को देखा तो उनकी आंखों के निशान (eye marks) दीवार पर छप गए, जो आज भी मौजूद हैं।
गौरी कुंड की रहस्यमयी गहराई
गुफा के पास ही गौरी कुंड (Gauri Kund) है, जिसमें माता पार्वती स्नान किया करती थीं। मान्यता है कि इस कुंड की गहराई पाताल लोक (Paatal Lok) तक जाती है।
गणेशजी की दिव्य उत्पत्ति
कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान से पहले अपने शरीर के मेल से गणेशजी को उत्पन्न किया और उन्हें बाहर द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। जब भगवान शिव गुफा में प्रवेश करना चाहते थे और गणेशजी ने रोका, तो दोनों में युद्ध हुआ। इसी दौरान गणेशजी का सिर धड़ से अलग हो गया। माता पार्वती के शोक से भगवान शिव ने गणेशजी को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया। यही वजह है कि गणेशजी का स्वरूप गजमुख (elephant-headed) माना जाता है।
गुफा का चमत्कारिक रूप
जब इस गुफा को बाहर से देखा जाता है तो इसकी आकृति गणेशजी के मुख (face) जैसी प्रतीत होती है। यही कारण है कि इसे आज भी एक अद्भुत और चमत्कारिक स्थल माना जाता है।
धार्मिक महत्व
राजसमंद जिले के मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान घने जंगलों के बीच बसा है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं। खासकर Ganesh Chaturthi के अवसर पर इस जगह का महत्व और भी बढ़ जाता है।