खटीमा गोलीकांड की बरसी पर शहीद स्थल, खटीमा में एक भावपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए वीर आन्दोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया गया और वहां उपस्थित महानुभावों को हिमालय की रक्षा तथा उत्तराखंड के विकास हेतु शपथ भी दिलाई गई।
शहादत जिसने जगाई चेतना
खटीमा गोलीकांड उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जिसने हजारों युवाओं के हृदय में चेतना और जोश जगाया। उस समय मेरे जैसे अनेक युवाओं के भीतर यह ज्वाला प्रज्वलित हुई कि हमें अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष करना ही होगा।
हमारे अमर बलिदानियों के त्याग और संघर्ष के कारण ही हमें उत्तराखंड राज्य की प्राप्ति हुई। यह घटना केवल इतिहास नहीं बल्कि हमारी अस्मिता और आत्मसम्मान का प्रतीक है।
शहीदों की विरासत और हमारी भूमिका
आज जब हम खटीमा गोलीकांड को याद करते हैं, तो यह केवल श्रद्धांजलि का अवसर नहीं बल्कि आत्ममंथन का क्षण भी है। हमें सोचना होगा कि जिन वीर सपूतों ने अपनी जान की आहुति दी, उन्होंने यह बलिदान केवल राज्य निर्माण के लिए नहीं, बल्कि एक न्यायपूर्ण, समानता-आधारित और विकासशील उत्तराखंड के लिए दिया था।
उनकी विरासत हमें निरंतर यह सिखाती है कि संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता, यदि वह जनहित और जनआकांक्षाओं से जुड़ा हो। आज की युवा पीढ़ी के लिए यह घटना प्रेरणा का स्रोत है कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य, साहस और एकता से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
खटीमा गोलीकांड का संदेश यही है कि हमें अपने प्रदेश के संसाधनों की रक्षा करनी होगी, शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी और रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकें।
यह भी आवश्यक है कि हम अपने शहीदों के संघर्ष की गाथाओं को इतिहास की किताबों तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें समाज और संस्कृति का हिस्सा बनाएँ ताकि हर पीढ़ी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और उत्तरदायी बने।
आन्दोलनकारियों के लिए सम्मान और अधिकार
आज हमारी सरकार ने उन आन्दोलनकारियों के त्याग को याद रखते हुए ठोस कदम उठाए हैं। राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10% क्षैतिज आरक्षण दिया गया है। यह निर्णय सिर्फ एक सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि उनके बलिदान और योगदान के प्रति गहरी कृतज्ञता का प्रतीक है।
इस आरक्षण से राज्य आन्दोलनकारियों के परिवारों को न केवल सम्मान मिला है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक बेहतर भविष्य की राह मिली है।
खटीमा गोलीकांड और उत्तराखंड की दिशा
खटीमा गोलीकांड ने उत्तराखंड की जनभावनाओं को दिशा दी। यह घटना सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि उत्तराखंड के लिए अलग पहचान और अधिकार की लड़ाई का मजबूत आधार बनी।
आज हम सभी का संकल्प है कि शहीदों के सपनों के अनुरूप एक नव्य-दिव्य उत्तराखंड का निर्माण किया जाए। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और रोजगार के क्षेत्र में निरंतर काम कर राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति और संकल्प
इस अवसर पर माननीय सांसद श्री अजय भट्ट जी सहित अनेक जनप्रतिनिधिगण एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और अधिक प्रेरणादायी बना दिया।
सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि खटीमा गोलीकांड की याद केवल इतिहास तक सीमित न रहे, बल्कि यह नई पीढ़ी को जागरूक और उत्तरदायी नागरिक बनने की प्रेरणा देती रहे।
निष्कर्ष
खटीमा गोलीकांड केवल एक घटना नहीं बल्कि उत्तराखंड राज्य की नींव रखने वाला आंदोलन है। शहीदों के बलिदान के कारण ही आज हम अलग राज्य के रूप में अपनी पहचान बना पाए हैं।
बरसी के इस अवसर पर यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि शहीदों के सपनों के अनुरूप एक विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर उत्तराखंड का निर्माण करें। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
नई पीढ़ी के लिए संदेश
आज जब हम शहीदों को नमन कर रहे हैं, तो यह भी आवश्यक है कि नई पीढ़ी को इस आंदोलन के महत्व से अवगत कराया जाए। उनके संघर्ष, त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेकर युवा समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं। अगर हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें, तभी उत्तराखंड का भविष्य सशक्त और उज्ज्वल बनेगा।