भारतीय वायुसेना ने Su-30MKI फाइटर जेट से रैंपेज मिसाइल का ऑपरेशनल इस्तेमाल किया, ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई ताकत
भारतीय वायुसेना (IAF) ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की है कि उसके Su-30MKI लड़ाकू विमान अब इज़राइली निर्मित रैंपेज (Rampage) मिसाइलों से लैस हैं। यह जानकारी एयर मार्शल ए.पी. सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी, जहां उन्होंने बताया कि इस नई मिसाइल के शामिल होने से वायुसेना की सटीक मारक क्षमता (precision strike capability) और युद्धक शक्ति में बड़ा इज़ाफा हुआ है।
IAF द्वारा जारी एक वीडियो फुटेज, जो हेलमेट कैमरा से रिकॉर्ड किया गया था, में दो Su-30MKI विमान हिमालयी क्षेत्र के ऊपर उड़ते हुए दिखाए गए हैं। वीडियो में एक विमान से 570 किलोग्राम वज़न वाली रैंपेज मिसाइल को पंख के नीचे लगे पायलॉन से दागा गया, जिसके बाद पायलट की आवाज़ सुनाई देती है — “Fox Three – Rampage Away.” मिसाइल ने लक्ष्य पर सटीक प्रहार किया और जोरदार विस्फोट के साथ दुश्मन के कमांड सेंटर को नष्ट किया।
वायुसेना के एक अधिकारी के अनुसार, यह Su-30MKI से रैंपेज मिसाइल की पहली ऑपरेशनल तैनाती थी। इस मिशन में DRDO द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर अपग्रेड का उपयोग किया गया, जिसने इज़राइली सिस्टम को भारतीय फाइटर के इंजन और एवियोनिक्स सिस्टम के साथ एकीकृत किया।
पहले यह मिसाइल जैगुआर दरिन-III और MiG-29K विमानों पर इस्तेमाल की जाती थी — जैगुआर के जरिए ज़मीन पर सटीक हमलों में और MiG-29K के जरिए एंटी-शिप मिशनों में। लेकिन Su-30MKI जैसे बड़े विमान पर इसे फिट करने के लिए स्ट्रक्चरल मजबूती और फायर कंट्रोल सिस्टम में बदलाव किए गए।
भारत ने 2020-21 के दौरान इज़राइल से रैंपेज मिसाइलें खरीदी थीं, जब चीन के साथ सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ था। अब यह मिसाइल भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण का अहम हिस्सा बन चुकी है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत जल्द ही रैंपेज मिसाइल के लोकल प्रोडक्शन (स्थानीय निर्माण) पर भी काम शुरू कर सकता है। इससे आपूर्ति की सुरक्षा बढ़ेगी और “मेक इन इंडिया” पहल को मज़बूती मिलेगी।
यह रणनीति पहले से ही ब्रह्मोस मिसाइल के स्थानीय निर्माण में सफल रही है, और अब रैंपेज के घरेलू उत्पादन से भारत की रक्षा उद्योग क्षमता और आत्मनिर्भरता दोनों में बढ़ोतरी होगी।