Recent reports of faults in the Tail Drive Shaft (TDS) of the HAL Dhruv helicopter have raised safety concerns. Know what TDS is, why it’s critical, and how HAL is addressing the issue through safety checks.
ध्रुव हेलिकॉप्टर में Tail Drive Shaft (TDS) की गड़बड़ी से मचा हड़कंप, HAL ने दिए जांच के आदेश
नई दिल्ली – हाल ही में HAL (Hindustan Aeronautics Limited) के स्वदेशी Advanced Light Helicopter (ALH) ‘ध्रुव’ में Tail Drive Shaft (TDS) से जुड़ी बार-बार खराबी की खबरों ने सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ा दी है। HAL ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए One-Time Check (OTC) के आदेश दिए हैं और भारतीय सेना, नौसेना व वायुसेना की यूनिट्स को प्राथमिकता पर जांच करने को कहा गया है।
TDS (Tail Drive Shaft) क्या होता है और ये इतना जरूरी क्यों है?
TDS हेलिकॉप्टर का एक क्रिटिकल कंपोनेंट (Critical Component) है। यह Main Engine की Power को हेलिकॉप्टर के पीछे लगे Tail Rotor तक पहुंचाता है। Tail Rotor का काम होता है हेलिकॉप्टर के घूमने (torque) को balance करना, जिससे उड़ान के दौरान हेलिकॉप्टर stable बना रहे।
TDS में किसी भी तरह की failure हेलिकॉप्टर की स्टेबिलिटी पर असर डाल सकती है और यहां तक कि यह crash का कारण भी बन सकती है। इसी वजह से यह एक safety-sensitive part माना जाता है।
क्या है HAL की प्रतिक्रिया?
HAL ने मीडिया में आई रिपोर्ट्स को “भ्रामक” और “एकतरफा” बताया है लेकिन स्वीकारा कि TDS में कुछ यूनिट्स में खराबी की सूचना मिली है। HAL के अनुसार, One-Time Check (OTC) एक standard safety protocol है और यह हेलिकॉप्टर की उड़ान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
HAL ने कहा:
“ध्रुव हेलिकॉप्टर ने अब तक 4.5 लाख से ज्यादा उड़ान घंटे पूरे किए हैं और यह भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के लिए एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म रहा है।”
4 सितंबर की घटना से मचा हड़कंप
4 सितंबर 2025 को भारतीय सेना के एक ध्रुव हेलिकॉप्टर में TDS से जुड़ी तकनीकी खराबी सामने आई। इसके बाद Directorate General of Electronics and Mechanical Engineers (Aviation) ने तीनों सेनाओं को हेलिकॉप्टर की सुरक्षा जांच (safety inspection) के निर्देश दिए।
ध्रुव की भूमिका और विश्वसनीयता
ALH ध्रुव पिछले दो दशकों से भारतीय सेनाओं के मिशन का हिस्सा रहा है। हाल ही के वर्षों में इसने उत्तराखंड, बिहार और नॉर्थईस्ट में बाढ़ राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। CRPF और अन्य नागरिक एजेंसियों के साथ भी इसका उपयोग किया गया है।
क्या ध्रुव की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं?
हालांकि कुछ लोग इन घटनाओं को लेकर सवाल उठा रहे हैं, HAL का कहना है कि:
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TDS की जांच design fault के कारण नहीं, बल्कि preventive maintenance के तहत की जा रही है।
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यह एक सामान्य प्रक्रिया (routine check) है जो किसी भी बड़े फेल्योर से पहले सुरक्षा सुनिश्चित (ensure safety) करने के लिए की जाती है।