खटीमा में ‘स्वदेशी अपनाओ अभियान’ से आत्मनिर्भर भारत की राह हुई और मजबूत

खटीमा में ‘स्वदेशी अपनाओ अभियान’ के तहत पारंपरिक मिट्टी के दीयों, मोमबत्तियों और स्थानीय कारीगरों द्वारा निर्मित वस्तुओं की खरीदारी कर लोगों ने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूती दी। यह पहल न केवल पारंपरिक भारतीय कला और संस्कृति को प्रोत्साहन दे रही है, बल्कि स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों की आजीविका को भी सहारा दे रही है।

दीपावली केवल रोशनी का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्थानीय उत्पादन और स्वदेशी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का एक सुनहरा अवसर है। जब हम अपने गाँव या कस्बे में बने दीये, सजावटी सामग्री या अन्य घरेलू उत्पाद खरीदते हैं, तो हम किसी कारीगर की मेहनत और आत्मनिर्भरता का सम्मान करते हैं।
यह नन्हा-सा कदम न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाता है।

इस अभियान के तहत लोगों से अपील की गई कि इस दीपावली वे विदेशी वस्तुओं से दूर रहकर स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी करें, जिससे स्थानीय उद्योगों को नई ऊर्जा मिले और ‘Vocal for Local’ का संदेश हर घर तक पहुंचे।

आइए, इस दीपावली हम सब मिलकर अपने देश के कारीगरों के घरों में भी खुशियों के दीप जलाएँ और ‘स्वदेशी अपनाओ अभियान’ को जन-जन तक पहुँचाएँ।

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