सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की जयंती – 1971 के भारत-पाक युद्ध के अमर वीर की शौर्य गाथा

सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस और अटूट देशभक्ति का परिचय देने वाले परमवीर चक्र से अलंकृत सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल जी की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। उनका जीवन युवाओं के लिए साहस, त्याग और राष्ट्रभक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है।

कौन थे सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल?

सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। वे भारतीय सेना की 17th Poona Horse Regiment के एक बहादुर अधिकारी थे। वे दिल्ली के प्रतिष्ठित St. Stephen’s College से स्नातक होने के बाद Indian Military Academy (IMA), देहरादून से प्रशिक्षित होकर सेना में शामिल हुए।

1971 का भारत-पाक युद्ध और उनकी वीरता की कहानी

साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, अरुण खेत्रपाल को Shakargarh Sector (Punjab Border) में तैनात किया गया था। यह युद्धक्षेत्र बेहद संवेदनशील था और दुश्मन की भारी टैंक बटालियन भारतीय सीमा की ओर बढ़ रही थी।
केवल 21 वर्ष की उम्र में, सेकंड लेफ्टिनेंट खेत्रपाल ने दुश्मन की टैंकों की पूरी टुकड़ी का सामना किया। उन्होंने अपनी टैंक ‘Fury’  के साथ पाकिस्तानी टैंकों पर जबरदस्त जवाबी हमला किया।

कड़ी लड़ाई के दौरान, उनके टैंक को कई बार निशाना बनाया गया, लेकिन उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया। अंततः, दुश्मन के कई टैंकों को नष्ट करने के बाद, वे वीरगति को प्राप्त हुए।

परमवीर चक्र से सम्मानित

सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके अदम्य साहस, कर्तव्यनिष्ठा और देश के प्रति सर्वोच्च समर्पण का प्रतीक है।

उनकी प्रेरणा आज भी जीवित है

सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की शौर्य गाथा हर भारतीय के दिल में बसती है। वे केवल एक सैनिक नहीं, बल्कि भारत के युवाओं के लिए राष्ट्र सेवा और बलिदान की अमर प्रेरणा हैं। उनकी जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन करते हुए, हम सभी उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं।

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