उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक सपना अब साकार होता नज़र आ रहा है। ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना (Rishikesh-Karnaprayag Rail Project) तेज़ी से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्र सरकार के विशेष प्रयासों से यह परियोजना न केवल पहाड़ों को रेल नेटवर्क से जोड़ेगी, बल्कि प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी नई ऊर्जा का संचार करेगी।
उत्तराखंड के इतिहास की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना
करीब 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल लाइन उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में रेल संपर्क का नया अध्याय लिखेगी। यह परियोजना ऋषिकेश से शुरू होकर देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और चमोली होते हुए कर्णप्रयाग तक जाएगी।
रेल मंत्रालय के अनुसार, 80% से अधिक टनलिंग कार्य पूरा हो चुका है और बाकी हिस्सों पर कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।
परियोजना के प्रमुख लाभ
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पहाड़ों में पहली बार रेल की सीधी पहुँच: अब लोगों को मैदानों तक पहुँचने के लिए घंटों की बस यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।
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रोजगार सृजन: निर्माण और संचालन चरण में हजारों स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
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पर्यटन को बढ़ावा: चारधाम यात्रा और हिल स्टेशनों तक पहुंच आसान होगी, जिससे पर्यटन में बड़ी वृद्धि होगी।
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आर्थिक विकास: पहाड़ी क्षेत्रों के उत्पाद देशभर के बाजारों तक पहुँच सकेंगे।
आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना
विशेषज्ञों का मानना है कि ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड के लिए वैसी ही भूमिका निभाएगी जैसी “Konkan Railway” ने महाराष्ट्र और गोवा के लिए निभाई थी।
यह रेलवे लाइन न केवल आम यात्रियों के लिए सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगी — क्योंकि यह मार्ग चीन सीमा के नजदीकी क्षेत्रों को जोड़ने की दिशा में अहम कड़ी बनेगा।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा
ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर और कर्णप्रयाग जैसे धार्मिक व पर्यटन स्थलों पर सालभर लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। रेल परियोजना पूरी होने के बाद इन स्थलों तक पहुंचने में समय और लागत दोनों कम होंगे।
चारधाम यात्रा मार्ग को यह रेल परियोजना विशेष रूप से मजबूती देगी, जिससे उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा।
स्थानीय जनभावनाओं से जुड़ा सपना
उत्तराखंड की जनता लंबे समय से इस रेल परियोजना की प्रतीक्षा कर रही थी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ने इसे ‘विकास की प्राथमिकता’ बनाते हुए न केवल वित्तीय सहयोग दिया, बल्कि कार्य में पारदर्शिता और तेज़ी सुनिश्चित की।
राज्य सरकार भी इस परियोजना को लेकर पूरी तरह सहयोग कर रही है।
तकनीकी चुनौतियों पर विजय
इस परियोजना की सबसे बड़ी चुनौती रही — पर्वतीय भूभाग में टनल निर्माण और भूस्खलन नियंत्रण।
रेलवे इंजीनियरों और विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीक जैसे New Austrian Tunnelling Method (NATM) और भूकंपीय सुरक्षा उपायों का इस्तेमाल कर परियोजना को सुरक्षित और टिकाऊ बनाया है।
समाप्ति की ओर परियोजना
रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यदि कार्य इसी गति से जारी रहा तो 2026 तक ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना का पहला चरण पूरा हो सकता है।
यह पूरा होने पर उत्तराखंड की जनता को मिलेगा — तेज़, सुरक्षित और किफायती परिवहन का नया विकल्प।
विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम
ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड के पहाड़ों में विकास, रोजगार और कनेक्टिविटी की नई शुरुआत करने जा रही है।
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से अब वह दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड के पहाड़ों में रेल की सीटी गूंजेगी, और लोग कहेंगे — “अब सच में विकास की रेल पहाड़ों तक पहुंच गई है।”